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ग़ज़ल
किसी सितारे से क्या शिकायत कि रात सब कुछ बुझा हुआ था
फ़सुर्दगी लिख रही थी दिल पर शिकस्तगी की नई कहानी
अज़्म बहज़ाद
ग़ज़ल
उसे क्या ख़बर कि शिकस्तगी है जुनूँ की मंज़िल-ए-आगही
जो मता-ए-शीशा-ए-दिल लिए सर-ए-कू-ए-यार नहीं गया
क़ैसर-उल जाफ़री
ग़ज़ल
नोशी गिलानी
ग़ज़ल
नहीं ताज़ा-दिल की शिकस्तगी यही दर्द था यही ख़स्तगी
उसे जब से ज़ौक़-ए-शिकार था उसे ज़ख़्म से सरोकार था