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ग़ज़ल
ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही
न तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
सौ क़िस्सों से बेहतर है कहानी मिरे दिल की
सुन उस को तू ऐ जान ज़बानी मिरे दिल की
इमाम बख़्श नासिख़
ग़ज़ल
कभी तुम सर्द करते हो दिलों की आग गर्मी सीं
कभी तुम सर्द-मेहरी सीं झटक कर बाव करते हो
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
अगर अँखियों सीं अँखियों को मिलाओगे तो क्या होगा
नज़र कर लुत्फ़ की हम कूँ जलाओगे तो क्या होगा