आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "soni mahiwal eboo"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "soni mahiwal eboo"
ग़ज़ल
हमारे दिल को दर्द-ए-इश्क़ ने मसनद बना डाला
कि दिल के मा-सिवा अब इस की इज़्ज़त कौन करता है
अकमल आल्दूरी
ग़ज़ल
आज 'आबरू' दिल कूँ हमारे शौक़ ने उस के मगन किया है
जाग अनाड़ी देख तमाशा इश्क़ लगा तब सोना क्या
आबरू शाह मुबारक
ग़ज़ल
जिस तौर से दुनिया से लगे फिरते हो 'सानी'
लगता है तुम्हें अब कभी मरना न पड़ेगा
महेंद्र कुमार सानी
ग़ज़ल
'सानी' सँभल कि ख़तरे में है अब तिरा वुजूद
ये कौन तेरे जिस्म में जाँ हो रहा है देख
महेंद्र कुमार सानी
ग़ज़ल
अस्बाब रौशनी के गुम हो गए हैं 'सानी'
मुमकिन है अब यहीं से मैं रौशनी को पहुँचूँ