aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "subuk-dosh"
ज़िंदगी तुझ से सुबुक-दोश हुए जाते हैंदेख हम लोग भी ख़ामोश हुए जाते हैं
यूँ सुबुक-दोश हूँ जीने का भी इल्ज़ाम नहींआह इतनी बड़ी दुनिया में कोई काम नहीं
मंसब से मोहब्बत की सुबुक-दोश हुआ मैंआवाज़ लगाते रहो ख़ामोश हुआ मैं
हर इक रंज-ओ-ग़म से सुबुक-दोश हो जाउसे याद कर और मदहोश हो जा
हम सुबुक-दोश ही जहाँ से गएन किसी तब्अ' ने गिरानी की
कोहकन ख़ुद तो सुबुक-दोश हुआ, पर शीरींसर पे इल्ज़ाम का कोहसार लिए फिरती है
आँखों की नींद से भी सुबुक-दोश कर गयातन्हाइयों में कौन मिरा ग़म-शनास है
जीते जी लाख बचे लाख सुबुक-दोश रहेमर के एहसान उठाना ही पड़ा यारों का
सुना है दश्त को वापस गए जनाब 'एहसास'मुलाज़मत से सुबुक-दोश हो के बस्ती में
इश्क़ में चाहिए हर-लहज़ा निराली गर्दिशक्यों वहाँ कातिब-ए-तक़दीर सुबुक-दोश हुआ
दिल में जितने भी थे हंगामे सुबुक-दोश हुएमेरे अतराफ़ में ख़ामोश बला गूँजती है
बे-तूदा तूदा-ख़ाक सुबुक-दोश हो गएसर पर जुनून-ए-इश्क़ का एहसाँ नहीं रहा
मर कर तमाम सर से टलीं आफ़तें 'जलील'हम जान दे के सब से सुबुक-दोश हो गए
बदन से रूह हम-आग़ोश होने वाली थीफिर इस के बा'द सुबुक-दोश होने वाली थी
काँधों से मेरे कातिब-ए-आमाल गिर पड़ेतड़पा मैं इस क़दर कि सुबुक-दोश हो गया
जिन को चलना था मिरी क़ौम का रहबर बन करहाँ वही लोग सुबुक-दोश नज़र आते हैं
कश्ती कोई डुबो के सुबुक-दोश हो गयाइल्ज़ाम जिस क़दर थे वो तूफ़ाँ के सर गए
न हुआ राह-ए-मोहब्बत में कोई ओहदा-बराजो सुबुक-दोश हुआ वो भी गिराँ-बार चला
चाहने वालों का चुन चुन के किया काम तमामबार-ए-उल्फ़त से हमेशा वो सुबुक-दोश रहा
सदक़े तिरे क़ज़ा कि सुबुक-दोश कर दियाबार-ए-गुनह था भारी मैं सर पर लिए हुए
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