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ग़ज़ल
बर्फ़ के आईना-ख़ानों में शो'लों का सिंगार करेंगे
ऐवानों में ऐश मना कर तड़पेंगे पत्थर दिल लोग
आबिद अदीब
ग़ज़ल
जाल के अंदर भी मैं तड़पूँगा चीख़ूँगा ज़रूर
मुझ से ख़ाइफ़ हैं तो मेरी सोच के पर काटिए
निसार नासिक
ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
जब भी दर्द से दिल तड़पेगा टुकड़े टुकड़े होगी रूह
किसी अँधेरे कमरे में हम दिल में दर्द समो लेंगे
मुश्ताक़ सिंह
ग़ज़ल
क्या आफ़त दिल का आना है बे-सूद अभी समझाना है
दिल तड़पेगा तड़पाएगा तब बात समझ में आएगी