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ग़ज़ल
तालिब-इल्म-ए-मोहब्बत जो मैं था तिफ़्ली में
थी नित आँखों की मिरे हुस्न-ए-रुख़-ए-यार से बहस
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
बशर मिट्टी का पुतला ही सही ज़ेर-ए-फ़लक 'तालिब'
मोहब्बत से मगर ये ख़ाक भी इक्सीर बनती है
तालिब देहलवी
ग़ज़ल
तालिब-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत हैं न पूछो हम से
शब कहाँ सुब्ह कहाँ शाम कहाँ होती है
सूफ़ी अय्यूब ज़मज़म
ग़ज़ल
इल्म गीत ग़ज़लों का मुझ को है नहीं ‘शेखर’
हासिल-ए-मोहब्बत है जो भी कह रहा हूँ मैं
संतोष सिंह शेखर
ग़ज़ल
तालिब हैं दिल से हुस्न-ए-मोहब्बत-फ़ज़ा के हम
इस से ज़ियादा और तुझे ख़ूब-रू करें
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
जलील मानिकपूरी
ग़ज़ल
न पहुँचा साथ यारान-ए-सफ़र की ना-तवानी से
मैं सर पटका किया इक उम्र संग-ए-सख़्त-जानी से