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ग़ज़ल
दिमाग़ के किसी गोशे से याद ताज़ा कर
फ़रोग़-ए-ज़ुल्मत-ए-शब है ज़रा उजाला कर
मख़्दूम ज़ादा मुख़्तार उस्मानी
ग़ज़ल
सूरत-ए-गर्द-ए-कारवाँ है ग़म-ए-मंज़िल-ए-जहाँ
ख़्वाब-ए-जुनून-ए-ताज़ा-कार चाहिए राह के लिए
अज़ीज़ हामिद मदनी
ग़ज़ल
ताज़ा कर जाते हो तुम दिल में पुरानी यादें
ख़्वाब-ए-शीरीं से तमन्ना को जगा जाते हो