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ग़ज़ल
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
सईद राही
ग़ज़ल
ये भोग भी एक तपस्या है तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचियता का होगा रचना को अगर ठुकराओगे
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
काहीदा ऐसा हूँ मैं भी ढूँडा करे न पाएगी
मेरी ख़ातिर मौत भी मेरी बरसों सर टकराएगी
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
वफ़ा मलिकपुरी
ग़ज़ल
जनता की आवाज़ दबा दे ये है किस के बस की बात
हर वो शीशा टूटेगा जो पत्थर से टकराएगा