आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "taqaddus-ma.aab"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "taqaddus-ma.aab"
ग़ज़ल
ब-फ़ैज़-ए-इश्क़ तक़द्दुस-मआब हैं हम लोग
हमारा ज़िक्र भी कीजे तो बा-वज़ू कीजे
मंशाउर्रहमान ख़ाँ मंशा
ग़ज़ल
हिन्द की ख़ाक का हर ज़र्रा है तक़्दीस-मआ'ब
ज़र्रे ज़र्रे के तले अहल-ए-सफ़ा रहते हैं
कृष्ण गोपाल मग़मूम
ग़ज़ल
शब-ए-महताब में वो रुख़ से उलटते जो नक़ाब
गिर्द फिर फिर के तसद्दुक़ मह-ए-ताबाँ होता
सफ़दर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
उस शाम-ए-जुदाई के तसद्दुक़ मह-ओ-अंजुम
जिस शाम-ए-जुदाई को ख़ुद आवाज़ सहर दे
सय्यद बशीर हुसैन बशीर
ग़ज़ल
निगाह-ए-मस्त का कैफ़-ए-ख़ुमार क्या कहिए
बहार गोया है अंदर बहार क्या कहिए
सलाहुद्दीन फ़ाइक़ बुरहानपुरी
ग़ज़ल
रात का अपना इक तक़द्दुस है सो उसे पाएमाल मत करना
जब दिए गुफ़्तुगू के रौशन हों लौटने का सवाल मत करना
ख़ालिद मोईन
ग़ज़ल
मर गई सर्व पे जब हो के तसद्दुक़ क़ुमरी
उस से उस दम भी न तौक़ अपने गुलू का निकला
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
मोहब्बत के तक़द्दुस को कभी पामाल मत करना
मोहब्बत का यही पैग़ाम सब के नाम लिखता हूँ
वलीउल्लाह वली
ग़ज़ल
अगर वाइज़ तुझे अपना तक़द्दुस सौंप सकता है
मैं कर दूँ मय-कदे क़ुर्बान तेरी नौजवानी पर
अंजुम सहारनपुरी
ग़ज़ल
हम को राह-ए-आशिक़ी में ज़िंदगी का ग़म न था
मरहला-दर-मरहला ग़म-ए-आशिक़ी ही कम न था