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ग़ज़ल
हर आन तसल्ली है हर लहज़ा तशफ़्फ़ी है
हर वक़्त है दिल-जूई हर दम हैं मुदारातें
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
अपना बीमार है दिल इश्क़ का बीमार नहीं
ख़ुद तशफ़्फ़ी के सिवा हिज्र का आज़ार नहीं
नश्तर ख़ानक़ाही
ग़ज़ल
अगर मेरी तशफ़्फ़ी को दो बातें यार की कर दो
ज़बाँ की ही 'इनायत है कि ख़ुद को भूल जाता हूँ
यूसुफ़ बिन मोहम्मद
ग़ज़ल
तशफ़्फ़ी कर लो दिल की फ़ाल ही से आस बंध जाए
कब आएगी कोई साअ'त सुहानी देखते जाओ
अब्दुल ग़फ़ूर साक़ी
ग़ज़ल
तशफ़्फ़ी-बख़्श है ख़ुद बे-क़रारी बे-क़रारों की
मोहब्बत की 'अता है हर मसर्रत ग़म के मारों की
सराहत अहमद सराहत
ग़ज़ल
क्या निगाहों की तशफ़्फ़ी हो कि बज़्म-ए-दहर में
सामने आता है हर मंज़र मिरा देखा हुआ
हीरा लाल फ़लक देहलवी
ग़ज़ल
ख़्वाब हो गर सिलसिला जारी रखें तहरीर का
कुछ तशफ़्फ़ी होती है इस नामा-ओ-पैग़ाम से