aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "taubaa"
की मिरे क़त्ल के बा'द उस ने जफ़ा से तौबाहाए उस ज़ूद-पशेमाँ का पशेमाँ होना
हम तौबा कर के मर गए बे-मौत ऐ 'ख़ुमार'तौहीन-ए-मय-कशी का मज़ा हम से पूछिए
आख़िर हैं कौन लोग जो बख़्शे ही जाएँगेतारीख़ के हराम से तौबा किए बग़ैर
'ख़ुमार'-ए-बला-नोश तू और तौबातुझे ज़ाहिदों की नज़र लग गई है
फ़िक्र-ए-उक़्बा की मस्ती उतर जाएगी तौबा टूटी तो क़िस्मत सँवर जाएगीतुम को दुनिया में जन्नत नज़र आएगी शैख़ जी मय-कदे का नज़ारा करो
तौबा तो कर चुका हूँ मगर फिर भी ऐ 'अदम'थोड़ा सा ज़हर ला कि तबीअ'त उदास है
फिरूँ ढूँडता मै-कदा तौबा तौबा मुझे आज-कल इतनी फ़ुर्सत नहीं हैसलामत रहे तेरी आँखों की मस्ती मुझे मय-कशी की ज़रूरत नहीं है
बहारों में भी मय से परहेज़ तौबा'ख़ुमार' आप काफ़िर हुए जा रहे हैं
कहाँ तू 'ख़ुमार' और कहाँ कुफ़्र तौबातुझे पारसाओं ने बहका दिया है
तुम्हारे ग़म से तौबा कर रहा हूँतअ'ज्जुब है मैं ऐसा कर रहा हूँ
करिश्मा-साज़ी-ए-हुस्न-ए-अज़ल अरे तौबामिरा ही आईना मुझ को दिखा के लूट लिया
बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ीबादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी
बात साक़ी की न टाली जाएगीकर के तौबा तोड़ डाली जाएगी
तौबा करता हूँ कल से पियूँगा नहीं मय-कशी के सहारे जियूँगा नहींमेरी तौबा से पहले मगर साक़िया सिर्फ़ दे एक जाम आख़िरी आख़िरी
कैसे बे-रहम हैं सय्याद इलाही तौबामौसम-ए-गुल में मुझे काट के पर रखते हैं
तौबा के टूटने का भी कुछ कुछ मलाल थाथम थम के सोच सोच के शर्मा के पी गया
मैं तौबा तो कर लूँ मगर इक बात है वाइ'ज़क्या आज से गर्दिश में पियाले न रहेंगे
मिरी उल्फ़त तअ'ज्जुब हो गई तौबा मआ'ज़-अल्लाहकि मुँह से भी न निकले बात और अफ़्साना हो जाए
किसी का ज़ुल्फ़ को लहरा के चलना उफ़ तौबाशराब-ए-नाब अज़ल के नशे में मस्त परी
गुज़रे हैं मय-कदे से जो तौबा के बा'द हमकुछ दूर आदतन भी क़दम लड़खड़ाए हैं
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