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ग़ज़ल
फ़ासले हैं भी और नहीं भी नापा तौला कुछ भी नहीं
लोग ब-ज़िद रहते हैं फिर भी रिश्तों की पैमाइश पर
गुलज़ार
ग़ज़ल
वो ख़याल खोल के देखना वो सवाल तौल के देखना
कि समझ रहे हो जिसे ख़फ़ा वो ख़फ़ा न हो कहीं यूँ न हो
साबिर ज़फ़र
ग़ज़ल
जीवन-डोर के पीछे हैराँ भागती टोली बच्चों की
गलियों गलियों नंगे पाँव धूल उड़ाती दो-पहरें
इशरत आफ़रीं
ग़ज़ल
मिरे रहबर हटा चश्मा तुझे मंज़र दिखाता हूँ
ये टोली भूके बच्चों की ग़ज़ब थाली बजाती है
मुसव्विर फ़िरोज़पुरी
ग़ज़ल
लोगो तुम्हारे हुस्न-ए-मुरव्वत को क्या हुआ
मीज़ान-ए-ज़र में तौल रहे हो तअ'ल्लुक़ात
नुसरत सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
हम न इस टोली में थे यारो न उस टोली में थे
ने किसी की जेब में थे न किसी झोली में थे