आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "thag"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "thag"
ग़ज़ल
ठग रहा अत्तार बन कर क्यों वो सारे शहर को
नाम दे कर इत्र का वो बेचता है ज़हर को
डॉ. भाग्यश्री जोशी
ग़ज़ल
ये भोग भी एक तपस्या है तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचियता का होगा रचना को अगर ठुकराओगे
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
मंज़िलें गर्द की मानिंद उड़ी जाती हैं
अबलक़-ए-दहर कुछ अंदाज़-ए-तग-ओ-ताज़ तो दे
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
नदीम गुल्लानी
ग़ज़ल
बुरे को तग भी करने और तवक़्क़ो नेक-नामी की
दिमाग़ अपना सँवारो तुम नहीं है ये ख़लल अच्छा
इस्माइल मेरठी
ग़ज़ल
जिस के कारन त्याग तपस्या और तप को वन-वास मिला
सोच रहा हूँ इक रानी को क्यूँ ऐसा वर याद रहा
कुंवर बेचैन
ग़ज़ल
जंगल जंगल आग लगी है दरिया दरिया पानी है
नगरी नगरी थाह नहीं है लोग बहुत घबराए हैं