आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "tuk"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "tuk"
ग़ज़ल
लगने न दे बस हो तो उस के गौहर-ए-गोश को बाले तक
उस को फ़लक चश्म-ए-मह-ओ-ख़ुर की पुतली का तारा जाने है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
ये अदा देख के कितनों का हुआ काम तमाम
नीमचा कल जो टुक उस अरबदा-जू का निकला
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
किस हस्ती-ए-मौहूम पे नाज़ाँ है तू ऐ यार
कुछ अपने शब-ओ-रोज़ की है तुज को ख़बर भी