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ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
दोस्त ख़ुश होते हैं जब दोस्त का ग़म देखते हैं
कैसी दुनिया है इलाही जिसे हम देखते हैं
सफ़ी औरंगाबादी
ग़ज़ल
राह-गुम-कर्दा हैं क़दमों के निशाँ होते हुए
बे-घरी का दर्द सहते हैं मकाँ होते हुए