आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vaqfa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "vaqfa"
ग़ज़ल
क्या क़हर है वक़्फ़ा है अभी आने में उस के
और दम मिरा जाने में तवक़्क़ुफ़ नहीं करता
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
सवाल करने के हौसले से जवाब देने के फ़ैसले तक
जो वक़्फ़ा-ए-सब्र आ गया था उसी की लज़्ज़त में आ बसा हूँ
अज़्म बहज़ाद
ग़ज़ल
ज़रा वक़्फ़ा से निकलेगा मगर निकलेगा चाँद आख़िर
कि सूरज भी तो मग़रिब में छुपा आहिस्ता आहिस्ता
अहमद नदीम क़ासमी
ग़ज़ल
मैं कल और आज में हाएल कोई नादीदा वक़्फ़ा हूँ
मिरे ख़्वाबों से नापा जा रहा है फ़ासला मेरा
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
ग़ज़ल
टुक तो वक़्फ़ा भी कर ऐ गर्दिश-ए-दौराँ कि ये जान
उम्र के हैफ़ ही क्या सात चली जाती है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
बस एक दीद भर का है फिर तो ये वक़्फ़ा-ए-हयात
उन के क़रीब जा मगर आँखों की इल्तिजा न मान