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ग़ज़ल
वो 'उम्र 'बज़्म' कि जिस का सुराग़ ही न मिला
उस उम्र-ए-रफ़्ता की इक यादगार दिल ही तो है
बज़्म अंसारी
ग़ज़ल
औसाफ़-ए-क़द-ए-यार भी मौज़ूँ करो ऐ 'बज़्म'
क्यों नूर का मिसरा रहे दीवान से बाहर
आशिक़ हुसैन बज़्म आफंदी
ग़ज़ल
अख़्तर शीरानी
ग़ज़ल
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी
ग़ज़ल
सूनी है बज़म-ए-आलम-ए-इमकां तिरे बग़ैर
दुनिया किसी ग़रीब की वीराँ तिरे बग़ैर
राजा अब्दुल ग़फ़ूर जौहर निज़ामी
ग़ज़ल
बज़्म-ए-नशात-ओ-ऐश का सामाँ लिए हुए
आई सबा बहार-ए-गुलिस्ताँ लिए हुए
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी
ग़ज़ल
हो नहीं सकती चराग़ों से हवा की दोस्ती
फ़िक्र-ए-नौ बज़्म-ए-लब-ओ-रुख़्सार से बाहर निकल
अलतमश अब्बास
ग़ज़ल
उजाड़ हो भी चुका मिरा दिल मगर अभी दाग़दार भी है
यही ख़िज़ाँ थी बहार-ए-दुश्मन जो यादगार-ए-बहार भी है
इज्तिबा रिज़वी
ग़ज़ल
उस की बज़्म-ए-गुल हैं अपने ख़ाना-ए-वीराँ की सम्त
मैं मिसाल-ए-अब्र आया सूरत-ए-सहरा गया
हनीफ़ अख़गर
ग़ज़ल
रंग-ए-बहार बज़्म-ए-सुख़न पर निसार है
देखो कहीं वो 'अहसन'-ए-रंगीं-बयाँ न हो