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ग़ज़ल
असर-ए-आह-ए-दिल-ए-ज़ार की अफ़्वाहें हैं
या'नी मुझ पर करम यार की अफ़्वाहें हैं
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
ग़ज़ल
मुझ को दिमाग़-ए-शेवन-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं
इक आतिश-ए-ख़मोश हूँ जिस में धुआँ नहीं
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
किसी से क्या कहूँ अंजाम-ए-इश्क़-ए-आतिशीं 'अह्मर'
हर इक मू-ए-बदन में जज़्ब कर ली है फ़ुग़ाँ मैं ने
डॉ. अहमर रिफ़ाई
ग़ज़ल
त'आवुन भी मिला फ़रियाद-ओ-आह-ओ-अश्क-बारी का
मगर यूँही किया हर मरहला तय बे-क़रारी का
शहराम सर्मदी
ग़ज़ल
ग़ैर-ए-आह-ए-सर्द नहीं दाग़ों के जाने का इलाज
जुज़ सबा क्या है चराग़ों के बुझाने का इलाज
वली उज़लत
ग़ज़ल
असर किया है ये ऐ आह-ए-ना-रसा कैसा
वो मुझ पे रात को उल्टा हुआ ख़फ़ा कैसा