आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "zanaane"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "zanaane"
ग़ज़ल
सब रक़ीबों से हों ना-ख़ुश पर ज़नान-ए-मिस्र से
है ज़ुलेख़ा ख़ुश कि महव-ए-माह-ए-कनआँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी
फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मिरे पैरहन की गवाहियाँ न सुनी गईं न लिखी गईं
कि ज़नान-ए-मिस्र की बात पर ही अज़ीज़दार चले गए
सरफ़राज़ बज़्मी
ग़ज़ल
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है