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ग़ज़ल
दुनिया को ख़बर क्या है मिरे ज़ौक़-ए-नज़र की
तुम मेरे लिए रंग हो, ख़ुशबू हो, ज़िया हो
हरी चंद अख़्तर
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
ज़िया-ए-शम्स भी मौजूद है नूर-ए-क़मर भी है
बसीरत ही न हो तो रौशनी से कुछ नहीं होता