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ग़ज़ल
चर्ख़-ए-बद-बीं की कभी आँख न फूटी सौ बार
तीर नाले ने मिरे चश्म-ए-ज़ुहल में मारा
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
मुश्तरी ज़ोहरा ज़ुहल शम्स-ओ-हिलाल-ओ-मिर्रीख़
तेरे कूचे को है यूँ राह-ए-वफ़ा हो जाना
चंद्रशेखर पाण्डेय शम्स
ग़ज़ल
नाला शब-ए-फ़िराक़ जो कोई निकल गया
जोश-ए-जुनूँ से चीर के चर्ख़-ओ-ज़ुहल गया
सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी
ग़ज़ल
ज़ाल-ए-दुनिया है अजब तरह की अल्लामा-ए-दहर
मर्द-ए-दीं-दार को भी दहरिया कर देती है