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ग़ज़ल
तेरे ख़िराम-ए-नाज़ से आज वहाँ चमन खिले
फ़सलें बहार की जहाँ ख़ाक उड़ा के रह गईं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
दिल मुजस्सम शेर-ओ-नग़्मा वो सरापा रंग-ओ-बू
क्या फ़ज़ाएँ हैं कि जिन में हल हुआ जाता हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
ये वादियाँ ये फ़ज़ाएँ बुला रही हैं तुम्हें
ख़मोशियों की सदाएँ बुला रही हैं तुम्हें
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
लेती हैं उल्टी साँसें जब शाम-ए-ग़म फ़ज़ाएँ
उस दम फ़ना-बक़ा की मैं नब्ज़ देखता हूँ