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ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
तुझे खो कर भी तुझे पाऊँ जहाँ तक देखूँ
हुस्न-ए-यज़्दाँ से तुझे हुस्न-ए-बुताँ तक देखूँ
अहमद नदीम क़ासमी
ग़ज़ल
गो न समझूँ उस की बातें गो न पाऊँ उस का भेद
पर ये क्या कम है कि मुझ से वो परी-पैकर खुला
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मोहब्बतों की परख का यही तो रस्ता है
तिरी तलाश में निकलूँ तुझे न पाऊँ मैं
इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
कोई बतलाए कि अब किस तरह पाऊँ सुकून-ए-दिल
मेरे इस जिस्म के पिंजरे में दर आई उदासी है