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ग़ज़ल
है किस के बल पे हज़रत-ए-'जौहर' ये रू-कशी
ढूँडेंगे आप किस का सहारा ख़ुदा के ब'अद
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
तुम ही वाक़िफ़ न थे आदाब-ए-जफ़ा से वर्ना
हम ने हर ज़ुल्म को हँस हँस के सहारा होता
परवीन फ़ना सय्यद
ग़ज़ल
जफ़ा-कारों की दुनिया में वफ़ा की आस है इस को
अजब सपने सजाता है मिरा दिल कितना सादा है
सय्यदा फ़िल्ज़ा तस्कीन
ग़ज़ल
मैं उन को बे-रुख़ी का किस लिए इल्ज़ाम दूँ 'जाफ़र'
अँधेरे में तो अपना दो-क़दम साया नहीं जाता
जाफ़र अब्बास सफ़वी
ग़ज़ल
जहाँ सय्याद रख देता है कुछ तिनके नशेमन के
हमें फिर उस जगह को आशियाँ कहना ही पड़ता है