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नज़्म
अख़्तर शीरानी
नज़्म
ज़िंदगी की क़ूव्वत-ए-पिन्हाँ को कर दे आश्कार
ता ये चिंगारी फ़रोग़-ए-जावेदाँ पैदा करे
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
आलम-ए-आब-ओ-ख़ाक में तेरे ज़ुहूर से फ़रोग़
ज़र्रा-ए-रेग को दिया तू ने तुलू-ए-आफ़्ताब!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तहज़ीब-ए-ज़िंदगी के फ़रोग़-ए-वतन के ख़्वाब
ज़िंदाँ के ख़्वाब कूचा-ए-दार-ओ-रसन के ख़्वाब
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जौन एलिया
नज़्म
ये ज़ाबता है कहूँ दश्त को गुलिस्ताँ-ज़ार
ख़िज़ाँ के रूप को लिक्खूँ फ़रोग़-ए-हुस्न-ए-बहार
हबीब जालिब
नज़्म
झूट क्यूँ बोलें फ़रोग़-ए-मस्लहत के नाम पर
ज़िंदगी प्यारी सही लेकिन हमें मरना तो है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अकबर इलाहाबादी
नज़्म
जो फूल सारे गुलिस्ताँ में सब से अच्छा हो
फ़रोग़-ए-नूर हो जिस से फ़ज़ा-ए-रंगीं में
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मजीद अमजद
नज़्म
बुलंद दा'वा-ए-जम्हूरियत के पर्दे में
फ़रोग़-ए-मजलिस-ओ-ज़िन्दाँ हैं ताज़ियाने हैं