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नज़्म
कहा मैं ने हँस कि ऐ बे-ख़बर न बहार-ए-हाल पे नाज़ कर
तिरी आब आब-ए-सराब-असर तिरा रंग रंग-ए-फ़ना-समर
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
है तिरी तिश्ना-लबी को आरज़ू-ए-जू-ए-आब
जुस्तुजू तेरी न हो वारफ़्ता-ए-दश्त-ए-सराब
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
बच्चो, हम पर हँसने वालो, आओ, तुम्हें समझाएँ
जिस के लिए इस हाल को पहुँचे, उस का नाम बताएँ
मुस्तफ़ा ज़ैदी
नज़्म
हाँ ऐ मसाफ़-ए-हस्ती! मत पूछ मुझ से क्या हूँ
इक अर्सा-ए-बला हूँ इक लुक़मा-ए-फ़ना हूँ
ग़ुलाम भीक नैरंग
नज़्म
जिन्हें सहर निगल गई, वो ख़्वाब ढूँढता हूँ मैं
कहाँ गई वो नींद की, शराब ढूँढता हूँ मैं
आमिर उस्मानी
नज़्म
वो इक मुसाफ़िर था जा चुका है
बता गया था कि बे-यक़ीनों की बस्तियों में कभी न रहना