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नज़्म
ہيں ہزاروں اس کے پہلو ، رنگ ہر پہلو کا اور
سينے ميں ہيرا کوئي ترشا ہوا رکھتا ہوں ميں
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जब जेब में पैसे बजते हैं जब पेट में रोटी होती है
उस वक़्त ये ज़र्रा हीरा है उस वक़्त ये शबनम मोती है
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
या ऑफ़िस से वापसी पर ले आऊँ खिलौनों-भरी दूकान
या कोई हीरा या कोई मोती या कोई मरजान
इमरान शमशाद नरमी
नज़्म
न कोई हीरा, न कोई मोती, न कोई सोने की चीज़ माँगी
न कोई कपड़ा न कोई लत्ता न कोई साड़ी''
फ़य्याज़ तहसीन
नज़्म
वो कोह-ए-नूर हीरा जिस ने किया था पैदा
जिस की चमक से अक्सर शाहों का ताज चमका