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नज़्म
हूक सी सीने में उठ्ठी चोट सी दिल पर पड़ी
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
दुनिया की महफ़िलों से उक्ता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हक़ीक़त एक है हर शय की ख़ाकी हो कि नूरी हो
लहू ख़ुर्शीद का टपके अगर ज़र्रे का दिल चीरें
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
एक रंगीन ओ हसीं ख़्वाब थी दुनिया मेरी
जन्नत-ए-शौक़ थी बेगाना-ए-आफ़ात-ए-सुमूम