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नज़्म
चिड़िया बाजी सभा में नाचे ख़ुशी से छम छम छम
मोटी बतख़ चोंच से ढोलक पीटे धम धम धम
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
कुछ मुखड़ा करता दमक दमक कुछ अबरन करता झलक झलक
जब पाँव रखा ख़ुश-वक़्ती से तब पाइल बाजी झनक झनक
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
वो बा-ईं कम-सिनी क्या ये न दिल में सोचता होगा
कि बाजी ने हमारी अपने ख़त में क्या लिखा होगा
अख़्तर शीरानी
नज़्म
अम्मी मेरा चाँद तो देखो बालू-शाही जैसा है
निकहत बाजी का है कैसा कड़वा और कसीला चाँद