आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "بانسری"
नज़्म के संबंधित परिणाम "بانسری"
नज़्म
जमील मज़हरी
नज़्म
फ़ज़ा-ए-दहर में गाता फिरा वो प्रीत के गीत
नशात-ख़ेज़-ओ-सुकूँ-रेज़ बाँसुरी ले कर
सीमाब अकबराबादी
नज़्म
वो सर-ता-पा फ़क़त आवाज़ थी या बाँसुरी कोई
ये छोटा सा मोहल्ला क्या था इक रंगीन दुनिया थी
इशरत आफ़रीं
नज़्म
शिकस्ता झोंपड़े में बाँसुरी-ए-दहक़ाँ की सुर बन कर
सुकूत-ए-नीम-शब में राज़-ए-हस्ती कह रहा होता
जमील मज़हरी
नज़्म
सहरा में जिस के मोहन ने बाँसुरी बजाई
मुर्दा दिलों में उल्फ़त की आग सी लगाई
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
फ़ज़ा-ए-दहर में गाता फिरा वो प्रीत के गीत
नशात-ख़ेज़-ओ-सुकूँ-रेज़ बाँसुरी ले कर