aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بلالی"
रह गई रस्म-ए-अज़ाँ रूह-ए-बिलाली न रहीफ़ल्सफ़ा रह गया तल्क़ीन-ए-ग़ज़ाली न रही
जब हुई घर से बहुत दूर बिलाली मस्जिदहम ने ''तह-ख़ाने'' में छोटी सी बना ली मस्जिद
आग तकबीर की सीनों में दबी रखते हैंज़िंदगी मिस्ल-ए-बिलाल-ए-हबशी रखते हैं
उस शाम मुझे मालूम हुआ इस कार-गह-ए-ज़र्दारी मेंदो भोली-भाली रूहों की पहचान भी बेची जाती है
ना इस सहरा में बरखा हैना इस सहरा में बाली है
खिड़की से बुलाती हैहमें माथे पे बोसा दो
पहले-पहल मेले में गया तोअपनी भोली-भाली
मग़रिब की हवाओं से आवाज़ सी आती हैऔर हम को समुंदर के उस पार बुलाती है
चाँद का टुकड़ा फूल की डालीकम-सिन सीधी भोली भाली
मक्खी ने वोहीं बोली आ ऊँट की बुलाईकोई पुकारता है क्यूँ ख़ैर तो है भाई
چمک اٹھا جو ستارہ ترے مقدر کا حبش سے تجھ کو اٹھا کر حجاز ميں لايا
कानों में मचल रही थी बालीबाँहों से लिपट रहा था गजरा
चार तिनके उठा के जंगल सेएक बाली अनाज की ले कर
बाली दुल्हनिया, बाँके वीरनसूना तुमरा राज पड़ा है
ليکن بلال، وہ حبشي زادئہ حقير فطرت تھي جس کي نور نبوت سے مستنير
حيراں ہے بوعلي کہ ميں آيا کہاں سے ہوں رومي يہ سوچتا ہے کہ جاؤں کدھر کو ميں
गर्म-जोशी की है मय से सरमस्तदोस्ती है मिरी देखी भाली
بے سرمہ بوعلي و رازي حاصل اس کا شکوہ محمود
मेरी भोली भाली सीता कोइंतिज़ार उस सुनहरे पुल का है
आँख के मुबहम इशारे से बुलाती है मुझेएक पुर-असरार इशरत का ख़ज़ाना है वो चश्म-ए-दिल-नशीं
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books