आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "بنسی"
नज़्म के संबंधित परिणाम "بنسی"
नज़्म
'कृष्ण' की बंसी ने फूंकी है रूह हमारी जानों में
'गौतम' की आवाज़ बसी है महलों में मैदानों में
हामिदुल्लाह अफ़सर
नज़्म
बंसी वाले की जुदाई में उड़ा कर सर पे ख़ाक
अपने अश्कों से किया है दामन-ए-साहिल को पाक
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
देखो इन बासी कलियों की पत्ती पत्ती मुरझाई है
वो रात सुहानी बीत चुकी आ पहुँची सुब्ह-ए-जुदाई है
मजीद अमजद
नज़्म
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है
कृष्न की बंसी ने फूंकी है रूह हमारी जानों में