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नज़्म
ग़म के बाइ'स हुआ जब मिस्ल-ए-शब-ए-तार दिमाग़
दिल में और अक़्ल में बरपा हुई जंग-ओ-तकरार
अज़ीमुद्दीन अहमद
नज़्म
सोने वालों को पयाम-ए-सुब्ह-ए-नौ देती हुई
ख़्वाब की दुनिया उठी अंगड़ाइयाँ लेती हुई
मयकश अकबराबादी
नज़्म
ऐ मिरे शेर के नक़्क़ाद तुझे है ये गिला
कि नहीं है मिरे एहसास में सरमस्ती ओ कैफ़
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
क्यूँ ज़ियाँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
फ़िक्र-ए-फ़र्दा न करूँ महव-ए-ग़म-ए-दोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ऐ सती ऐ जल्वा-गाह-ए-शोला-ए-तनवीर-ए-हुस्न
पाक-दामानी का नक़्शा है तिरी तस्वीर-ए-हुस्न