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नज़्म
मदद करनी हो उस की यार की ढारस बंधाना हो
बहुत देरीना रस्तों पर किसी से मिलने जाना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
मुद्दत से हो रहा है जिन का मकाँ पुराना
उठ के है उन को मेंह में हर आन छत पे जाना
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
जब दिन ढल जाता है, सूरज धरती की ओट में हो जाता है
और भिड़ों के छत्ते जैसी भिन-भिन
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
इस क़दर जामा' मुकम्मल हैं 'अता' इस की सिफ़ात
कब है मुमकिन पेश करना ऐ 'अता' इस की सिफ़ात
अता आबिदी
नज़्म
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
बोली तस्वीर जो मैं ने उसे उल्टा पल्टा
मैं वो जामा हूँ कि जिस का नहीं सीधा उल्टा
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
नजीब अहमद
नज़्म
सर उठा कर आसमाँ की जामा-ज़ेबी देखिए
उस की रंगीनी में क्या है दिल-फ़रेबी देखिए
बिस्मिल इलाहाबादी
नज़्म
कोई जामा' न रहा मुंतशिर आते हैं नज़र
इल्म-ओ-फ़न दानिश-ओ-दीं सिद्क़-ओ-सफ़ा तेरे बाद