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नज़्म
मैं अक्सर उन के तसव्वुर में डूब जाता था
वफ़ूर-ए-जज़्बा से हो जाती थी मिज़ा पुर-नम
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
दबेगी कब तलक आवाज़-ए-आदम हम भी देखेंगे
रुकेंगे कब तलक जज़्बात-ए-बरहम हम भी देखेंगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मोहब्बत का सभी एलान कर जाते हैं महफ़िल में
कि इस के वास्ते जज़्बा है हमदर्दी का हर दिल में
मंज़र भोपाली
नज़्म
जज़्बा-ए-एहसास-ए-ख़ुद्दारी बशर में भर दिया
नाज़ उठाए हिन्द के वो हिन्द का ग़म-ख़्वार था
साहिर होशियारपुरी
नज़्म
अर्श मलसियानी
नज़्म
जज़्बा-ए-ऐश की हर शोरिश-ए-फ़ानी की क़सम
तुझ को अपनी इसी बद-मस्त जवानी की क़सम
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
दिल में जज़्बा है जवाँ हो कर सभी आगे बढ़ें
अज़्म है ये जान-ओ-दिल से देस की ख़िदमत करें
मोहम्मद शफ़ीउद्दीन नय्यर
नज़्म
कोह वही दमन वही दश्त वही चमन वही
फिर ये 'मजाज़' जज़्बा-ए-हुब्ब-ए-वतन को क्या हुआ