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नज़्म
हर एक बूँद में आफ़ाक़ गुनगुनाते हैं
ये शर्क़ ओ ग़र्ब शुमाल ओ जुनूब पस्त ओ बुलंद
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
तिरे क़दमों को हमेशा चूमते रहना चाहती हैं,
ये ढलवान हमें जुनूब की ओर जितना भी आगे बहा ले जाए
फ़ैसल सईद ज़िरग़ाम
नज़्म
मेरे पैमान-ए-मोहब्बत ने सिपर डाली है
उन दिनों मुझ पे क़यामत का जुनूँ तारी था
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
मैं ने मुनइ'म को दिया सरमाया दारी का जुनूँ
कौन कर सकता है इस की आतिश-ए-सोज़ाँ को सर्द
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तेरे पैराहन-ए-रंगीं की जुनूँ-ख़ेज़ महक
ख़्वाब बन बन के मिरे ज़ेहन में लहराती है