आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "خاموش"
नज़्म के संबंधित परिणाम "خاموش"
नज़्म
अब यहाँ मेरी गुज़र मुमकिन नहीं मुमकिन नहीं
किस क़दर ख़ामोश है ये आलम-ए-बे-काख़-ओ-कू
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये पर्बत है ख़ामोश साकिन
कभी कोई चश्मा उबलते हुए पूछता है कि उस की चटानों के उस पार क्या है