आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "خرام"
नज़्म के संबंधित परिणाम "خرام"
नज़्म
गूँजती है जब फ़ज़ा-ए-दश्त में बाँग-ए-रहील
रेत के टीले पे वो आहू का बे-परवा ख़िराम
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तेरा ग़म्माज़ बना ख़ुद तिरा अंदाज़-ए-ख़िराम
दिल न सँभला था तो क़दमों को सँभाला होता
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
रक़ीब हो तो किस लिए तिरी ख़ुद-आगही की बे-रिया नशात-ऐ-नाब का
जो सद-नवा ओ यक-नवा खिराम-ऐ-सुब्ह की तरह
नून मीम राशिद
नज़्म
ख़िराम-ए-नाज़ पाया आफ़्ताबों ने सितारों ने
चटक ग़ुंचों ने पाई दाग़ पाए लाला-ज़ारों ने
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जब भी साक़ी ने सुराही को दिया इज़्न-ए-ख़िराम
बज़्म की बज़्म पुकारेगी कि आग़ाज़ में तू
अहमद फ़राज़
नज़्म
ख़िराम रंगीं, निज़ाम रंगीं, कलाम रंगीं, पयाम रंगीं
क़दम क़दम पर, रविश रविश पर नए नए गुल खिला रहे हैं
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
मुर्ग़-ज़ारों में दिखाती जू-ए-शीरीं का ख़िराम
वादियों में अब्र के मानिंद मंडलाती हुई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ख़्वाब-गह शाहों की है ये मंज़िल-ए-हसरत-फ़ज़ा
दीदा-ए-इबरत ख़िराज-ए-अश्क-ए-गुल-गूँ कर अदा