आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "دل_لگی"
नज़्म के संबंधित परिणाम "دل_لگی"
नज़्म
मैं जानता हूँ ज़ालिम तेरी ये दिल-लगी है
दिल में नहीं किसी के जो मौत का ख़तर कुछ
अज़ीमुद्दीन अहमद
नज़्म
मैं जानता हूँ ज़ालिम तेरी ये दिल-लगी है
दिल में नहीं किसी के जो मौत का ख़तर कुछ
अज़ीमुद्दीन अहमद
नज़्म
दिल लगी है चहल है और हर तरफ़ हैं क़हक़हे
हैं ये बुलबुल इस चमन के कर रहे हैं चहचहे
मोहम्मद शफ़ीउद्दीन नय्यर
नज़्म
तैरते रहना ख़ला में दिल-लगी समझा है वो
आदमी ख़ुद को ज़े-फ़र्त-ए-सादगी समझा है वो