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नज़्म
फ़िक्र-ए-इंसाँ पर तिरी हस्ती से ये रौशन हुआ
है पर-ए-मुर्ग़-ए-तख़य्युल की रसाई ता-कुजा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
किस हाथ को छोड़ना है किसे थामना है
इक रियाज़ी के उस्ताद ने अपने हाथों में परकार ले कर
तहज़ीब हाफ़ी
नज़्म
ज़रा होंटों को जुम्बिश और लफ़्ज़ों को रिहाई दो
अकेला पड़ गया हूँ मैं ज़रा मेरी सफ़ाई दो
मनोज अज़हर
नज़्म
ये हवस ये चोर बाज़ारी ये महँगाई ये भाव
राई की क़ीमत हो जब पर्बत तो क्यूँ न आए ताव