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नज़्म
सौदा है लीडरी का जो दिल को सताए है
''दिल फिर तवाफ़-ए-कू-ए-मलामत को जाए है''
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
कसीफ़ ज़हरों की थैलियों को ग़ज़ब से बाहर उछालते हों
मुहीब साए में देवताओं का रक़्स जारी था
अली अकबर नातिक़
नज़्म
ख़्वाब-ए-ख़स-ख़ाना-ओ-बरफ़ाब के पीछे पीछे
गर्मी-ए-शहर-ए-मुक़द्दर के सताए हुए लोग
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
रहेगा यूँ लबों पर शिकवा-ए-जौर-ए-ख़िज़ाँ कब तक
सताएगा भला नाज़ुक दिलों को ये जहाँ कब तक
शौकत परदेसी
नज़्म
जिन्हें अपने लरज़ते हाथों में लेते ही उसे यक़ीन हो चला था
कि आज रात उसे कोई दर्द नहीं सताएगा
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
नज़्म
ज़माना के सताए दूर से आए हुए हैं हम
मेरे ख़्वाबों की मलिका आश्ना तुम से नहीं ये ग़म
पुष्पराज यादव
नज़्म
ज़माने के सताए हैं जो लोगों को हँसाते हैं
कुरेदा जब भी दिल उन का हज़ारों ग़म ही ग़म निकले