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नज़्म
वक़्त की जिस में किसी के वक़्त में शिरकत चाहिए थी
मुट्ठी भर फ़ुर्सत चुटकी भर चाहत चाहिए थी
सय्यद काशिफ़ रज़ा
नज़्म
बिलाल अहमद
नज़्म
तू हमेशा रहता है चीं-बर-जबीं अफ़्सुर्दा दिल
फिर किसी की बज़्म-ए-इशरत में न जा बहर-ए-ख़ुदा
नज़्म तबातबाई
नज़्म
जिस में शिरकत के लिए बे-ताब है सारा जहाँ
जश्न-ए-उर्दू का भी मीर-ए-कारवाँ संजीव है