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नज़्म
कैसे जा पहुँचे किसी ख़ल्वत-ए-महजूब के मख़मूर सनम-ख़ाने में
वो सनम-ख़ाना जहाँ बैठे हैं दो बुत ख़ामोश
मीराजी
नज़्म
ये ख़ुदा या किसी दरगाह पे रक्खे हुए आँसू की तपिश
मेरा ईमाँ कि सनम-ख़ाना-ए-तन्हाई में
मक़सूद वफ़ा
नज़्म
सनम-ख़ाना-ए-काएनात, आज़री के तिलिस्मात से आ के बाहर निकाला
मिरे ख़ौफ़ से काँपते दिल को
शहाब जाफ़री
नज़्म
एक भँवरे को ख़िज़ाँ में थी गुल-ए-तर की तलाश
ख़ुद सनम-ख़ाना-ए-आज़र को थी आज़र की तलाश
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
कितने दिल-कश मिरे बुत-ख़ाना-ए-ईमां के सनम
वो कलीसाओं के आहू वो ग़ज़ालान-ए-हरम
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
तेरी ही जुस्तुजू मुझे तेरा ही इंतिज़ार है
तुझ से बिछड़ के ऐ सनम चैन है न क़रार है