aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "طلب_گار"
سن اے طلب گار درد پہلو! ميں ناز ہوں ، تو نياز ہو جا ميں غزنوي سومنات دل کا ، تو سراپا اياز ہو جا
एक फूल का चमन में तलबगार मैं हुआवो फूल खिल रहा था सर-ए-शाख़ आरज़ू
रात की ज़ुल्फ़-ए-सियह और सँवरती ही रहीरात की ज़ुल्फ़-ए-सियह और सँवरती ही रही
कौन सी क़ौम फ़क़त तेरी तलबगार हुईऔर तेरे लिए ज़हमत-कश-ए-पैकार हुई
हिज्र अय्यार हैदुनिया का तलबगार है
अश्कों की मुहर लगाईक़ुबूलियत का तलबगार
नाज़-बरदार हैं हसीन तिरेख़ुद तलबगार हैं हसीन तिरे
ख़ूब पहचान लो असरार हूँ मैंजिंस-ए-उल्फ़त का तलबगार हूँ मैं
पागल-पन के आसार बहुत हैंकहते नहीं लेकिन तलबगार बहुत हैं
मैं ने तारों पे निगाहों की कमंदें फेंकींएक रंगीन हक़ीक़त का तलबगार रहा
और सर्वत जो नहीं उस का तलबगार भी मैं!तू जो हँसती रही उस रात तज़ब्ज़ुब पे मेरे
मैं न शबनम का परस्तार न अँगारों कान ख़लाओं का तलबगार न सय्यारों का
नए उजालों नए सूरज की तलबगार बनी हैबुझती हुई सर्द शाम के तन्हा सूरज
ता-ज़ीस्त इसी के लिए सरशार रहेंगेइस मय के हमेशा ही तलबगार रहेंगे
ख़ुद ही को ढूँडने के तलबगार थेख़ुद ही गिर्दाब थे ख़ुद ही मझंदार थे
मैं तिरी आँख को तश्बीह दूँ मयख़ाने सेऔर ख़ुद ज़हर-ए-जुदाई का तलबगार रहूँ
ये अम्न-ओ-अमाँ के तलबगार बंदेये मज़दूर बंदे ये जी-दार बंदे
ग़रज़ दीन से है न दुनिया से मतलबनिगाह-ए-करम का तलबगार हूँ मैं
तू दर्द-ए-मोहब्बत का तलबगार अज़ल सेतू मेहर-ओ-मुरव्वत का परस्तार अज़ल से
दिल मिरा दौलत-ए-दुनिया का तलबगार नहींब-ख़ुदा ख़ाक-नशीनी से मुझे आर नहीं
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