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नज़्म
तोले हुए है तेग़-ओ-सिनाँ हुस्न-ए-बे-नक़ाब
नावक-फ़गन है जल्वा-ए-पिन्हान-ए-लखनऊ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
نہ ستيزہ گاہ جہاں نئي نہ حريف پنجہ فگن نئے
وہي فطرت اسد اللہي وہي مرحبي، وہي عنتري
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ہوبہو کھينچے گا ليکن عشق کي تصوير کون ؟
اٹھ گيا ناوک فگن، مارے گا دل پر تير کون ؟
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हम कि रुम्माज़-ए-रुमूज़-ए-ग़म-ए-पिन्हानी हैं
अपनी गर्दन पे भी है रिश्ता-फ़गन ख़ातिर-ए-दोस्त
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क़स्र-ए-शाही में कि मुमकिन नहीं ग़ैरों का गुज़र
एक दिन नूर-जहाँ बाम पे थी जल्वा-फ़िगन
शिबली नोमानी
नज़्म
इक़बाल सुहैल
नज़्म
रक़्स-ए-तरब किधर गया नग़्मा-तराज़ क्या हुए
ग़म्ज़ा-ओ-नाज़ क्या हुए इश्वा ओ फ़न को क्या हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
गीत 'फ़िराक़' के झिलमिल झिलमिल करते हैं मशअ'ल की तरह
हुरमत की लय साया-फ़गन है सावन के बादल की तरह
हुरमतुल इकराम
नज़्म
काम सोने का बना है गुम्बद-ए-अफ़्लाक पर
ज़ौ-फ़गन होता है आलम इस का फ़र्श-ए-ख़ाक पर