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नज़्म
रेस करती हैं बसें शहर के बाज़ारों में
हैं ये सब क़ाबिज़-ए-अर्वाह के औज़ारों में
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
दारों-रंग को मिला कर भीड़ इकट्ठी की गई
चप्पा चप्पा पर गली-कूचों के जो क़ाबिज़ हुई
रज़ा नक़वी वाही
नज़्म
वही गाड़ी पे क़ाबिज़ है उसी का बोल-बाला है
वो जिस ने अपने इक साथी का कुर्ता फाड़ डाला है
असद जाफ़री
नज़्म
कौन इन फूलों पे क़ाबिज़ है वो राहत है कहाँ
ढूँडते हैं दर-ब-दर अंजाम-ए-मेहनत है कहाँ
दाऊद ग़ाज़ी
नज़्म
उम्र भर तेरी मोहब्बत मेरी ख़िदमत-गर रही
मैं तिरी ख़िदमत के क़ाबिल जब हुआ तू चल बसी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
शम-ए-हक़ से जो मुनव्वर हो ये वो महफ़िल न थी
बारिश-ए-रहमत हुई लेकिन ज़मीं क़ाबिल न थी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अन-पढ़ था और जाहिल क़ाबिल मुझे बनाया
दुनिया-ए-इल्म-ओ-दानिश का रास्ता दिखाया