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नज़्म
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
मैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
बए के घोंसले का गंदुमी रंग लरज़ता है
तो नद्दी की रुपहली मछलियाँ उस को पड़ोसन मान लेती हैं
ज़ेहरा निगाह
नज़्म
आमिर उस्मानी
नज़्म
जल्वा-ए-क़ुदरत का शाहिद हुस्न-ए-फ़ितरत का गवाह
माह का दिल मेहर-ए-आलम-ताब का नूर-ए-निगाह
जोश मलीहाबादी
नज़्म
कहीं ये ख़ूँ से फ़र्द-ए-माल-ओ-ज़र तहरीर करती है
कहीं ये हड्डियाँ चुन कर महल ता'मीर करती है