aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "مقام_ارتباط"
لکھا ہے ايک مغربي حق شناس نے اہل قلم ميں جس کا بہت احترام تھا
नींद पलकों के साएबाँ में नहींताइर-ए-ख़्वाब कर गया पर्वाज़
मर्ग-बार-आलम में इक उम्मीद की मुबहम किरनएक बुझते दीप का मद्धम हिरासाँ इर्तिआश
अभी फ़ज़ाओं में तारी है मुज़्तरिब सा सुकूँअभी ख़लाओं में आवाज़ गूँज जाती है
मुसाफ़िर-ए-अबदी की नहीं कोई मंज़िलयहाँ क़याम किया या वहाँ क़याम किया
मुझे है आज भी एहसास अपने माज़ी काबसे हुए हैं वो जल्वे मिरी निगाहों में
उस से रिश्ता रहा अजब मेराआ गया नाम बे-सबब मेरा
गिला है कम-निगही को में कामगार नहींहनूज़ नुदरत-ए-किरदार आश्कार नहीं
औरत!तेरे कितने रूप,
दोस्तों में सब से अच्छा दोस्त है अच्छी किताबआ बता दूँ कैसी होती है 'अता' अच्छी किताब
ابليسيہ عناصر کا پرانا کھيل، يہ دنيائے دوں
इबलीसये अनासिर का पुराना खेल ये दुनिया-ए-दूँ
सिलसिला-ए-रोज़-ओ-शब नक़्श-गर-ए-हादसातसिलसिला-ए-रोज़-ओ-शब अस्ल-ए-हयात-ओ-ममात
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगीवो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
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