आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "منظور"
नज़्म के संबंधित परिणाम "منظور"
नज़्म
न रह अपनों से बे-परवा इसी में ख़ैर है तेरी
अगर मंज़ूर है दुनिया में ओ बेगाना-ख़ू रहना
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
चमन को छोड़ के निकला हूँ मिस्ल-ए-निकहत-ए-गुल
हुआ है सब्र का मंज़ूर इम्तिहाँ मुझ को
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दीद तेरी आँख को उस हुस्न की मंज़ूर है
बन के सोज़-ए-ज़िंदगी हर शय में जो मस्तूर है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मंज़ूर था जो माँ की ज़ियारत का इंतिज़ाम
दामन से अश्क पोंछ के दिल से किया कलाम
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
सौ ज़बानों पर भी ख़ामोशी तुझे मंज़ूर है
राज़ वो क्या है तिरे सीने में जो मस्तूर है