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नज़्म
किसी को मौत से पहले किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ उस को जा के ये बताना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
क्यूँ जी पर बोझ उठाता है इन गौनों भारी भारी के
जब मौत का डेरा आन पड़ा फिर दूने हैं ब्योपारी के
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मौत और ज़ीस्त की रोज़ाना सफ़-आराई में
हम पे क्या गुज़रेगी अज्दाद पे क्या गुज़री है?